16 December 2013

ग़ज़ल - हमारे सब्र का वो खूबसूरत पल निकल आये

वीनस मुंबई आया हुआ था और मेरे घर पर बैठकर मेरी डायरी के सफ़े पलटते-पलटते ग़ज़लों की छान-पटक भी कर रहा था। और डायरी की तक़रीबन सभी ग़ज़लों से गुज़र कर उसने मुझसे कहा अंकित भाई, आप 'याद' लफ़्ज़ को अपनी हर ग़ज़ल में कहीं न कहीं ले ही लाते हैं अब अगली ग़ज़ल में ज़रा बचने की कोशिश कीजियेगा। मैंने हामी भर दी।

बातों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा और अचानक ही वीनस ने मेरे हवाले उसका एक मिसरा ''उसी रस्ते पे तेरी याद के जंगल निकल आये'' कर दिया, ये कहते हुये कि उसने इसको बाँधने की बहुत कोशिश की मगर अभी तक नाकाम रहा है। मज़े की बात ये कि 'याद' लफ़्ज़ को अगली ग़ज़ल में न लाने की हिदायत देकर खुद ही ऐसा मिसरा पकड़ा गया जिसमें 'याद' लफ़्ज़ मौजूद था। आहिस्ता-आहिस्ता शेर हुये, उस आवारा मिसरे को भी बाँधा मगर ग़ज़ल मुकम्मल होने के बाद दिल मुताबिक न पा कर आखिर में हटा दिया। ये थी इस ग़ज़ल की जर्नी जो अब आपसे मुख़ातिब है ...

(वासुदेव एस गायतोंडे की एक पेंटिंग )

हमारे सब्र का वो खूबसूरत पल निकल आये
वो अपने दोस्तों के साथ गर पैदल निकल आये

जवां इस उम्र की ड्योढ़ी पे जब उसने कदम रक्खे
बढ़ाने दोस्ती गालों पे कुछ पिम्पल निकल आये

ये नैनीताल है साहब, मकानों से यहाँ ज़्यादा
गली-कूचों में टपरी से कई होटल निकल आये

जमी जब चौकड़ी यारों की सालों बाद तो फिर से
खुले यादों के बक्से और गुज़रे पल निकल आये

अंगीठी-कोयले में दोस्ती बढ़ने लगी जब कुछ
दिखाने रौब फिर संदूक से कम्बल निकल आये

पुकारें आसमां को दीं, झुलसती फस्ले ने जब तो
बँधाने आस थोड़ी स्याह से बादल निकल आये

छुपाये बैठा था पत्तों में बूढ़ा पेड़ आमों को
हवा की इक शरारत से छिपे सब फल निकल आये

बयारें ताज़गी की फिर सुख़न में आ गईं देखो
नई इक सोच ले कर फिर कई पागल निकल आये

अभी तक तो उसे ही पूजते आये थे सब, लेकिन
उसी के कद बराबर अब कई पीपल निकल आये

इसी उम्मीद पे जी लो 'सफ़र' क्या ख़बर किसको !
तुम्हारे आज से बेहतर तुम्हारा कल निकल आये

[दस्तक - ग़ज़ल संकलन में प्रकाशित]

4 comments:

Rajesh Kumari said...

आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/१२/१३को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है

Rajeev Bharol said...

अंकित,
वाह. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है..सभी शेर बहुत खूबसूरती से घड़े हुए.

Ankit said...

शुक्रिया राजीव जी

Unknown said...

Really wonderful!