02 January 2012

ग़ज़ल - नए साल में, नए गुल खिलें, नई खुशबुएँ, नए रंग हों

आप सब को नव वर्ष की शुभकामनायें। 
नये साल की शुरुआत, एक ग़ज़ल से करना बेहतर है। बीते साल का लेखा-जोखा बंद करके, नये साल में कुछ करने की कसमें खाई जाएँ जिनका हिसाब-किताब २०१२ के अंत में किया जायेगा। नया साल अपने साथ एक नया जोश लाता है, एक नयी उमंग जगाता है। इस उम्मीद के साथ कि अपने से किये गए वादों को पूरी शिद्दत से पूरा किया जायेगा, तो हाज़िर करता हूँ एक ग़ज़ल जो बहरे कामिल मुसमन सालिम पे है। जिसका रुक्न ११२१२-११२१२-११२१२-११२१२ है।
.


हैं कदम-कदम पे जो इम्तिहां मेरे हौसलों से वो दंग हों
चढ़े डोर जब ये उम्मीद की, मेरी कोशिशें भी पतंग हों

ये जो आड़ी-तिरछी लकीरें हैं मेरे हाथ में, तेरे हाथ में
किसी ख़ाब की कई सूरतें, किसी ख़ाब के कई रंग हों

कई मुश्किलों में भी ज़िन्दगी तेरे ज़िक्र से है महक रही
तेरी चाहतों की ये खुशबुएँ मैं जहाँ रहूँ मेरे संग हों

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों

जो रिवाज़ और रवायतें यूँ रखे हुए हैं सम्हाल के
वो लिबास वक़्त की उम्र संग बदन कसें, कहीं तंग हों

तेरा बाग़ है ये जो बागवां इसे अपने प्यार से सींच यूँ
नए साल में, नए गुल खिलें, नई खुशबुएँ, नए रंग हों

ये किसी फक़ीर की है दुआ तुझे इस मकाम पे लाई जो
तू जहाँ कहीं भी रहे 'सफ़र' तेरी हिम्मतें तेरे संग हों

18 comments:

kshama said...

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

जो रिवाज़ और रवायतें यूँ रखे हुए हैं सम्हाल के,
वो लिबास वक़्त की उम्र संग बदन कसें, कहीं तंग हों.
Lajawaab rachana hai!

वीनस केसरी said...

कई मुश्किलों में भी ज़िन्दगी तेरे ज़िक्र से है महक रही,
तेरी चाहतों की ये खुशबुएँ मैं जहाँ रहूँ मेरे संग हों.

बहुत खूब अंकित भाई
जिंदाबाद

Rajesh Kumari said...

laajabaab ghazal.vaah...

kanu..... said...

ये किसी फकीर की है दुआ तुझे इस मकाम पे लाई जो,
तू जहाँ कहीं भी रहे 'सफ़र' तेरी हिम्मतें तेरे संग हों.
bahut khoob

सदा said...

वाह ...बेहतरीन प्रस्‍तुति
कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !

धन्यवाद!

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये जो आड़ी-तिरछी लकीरें हैं मेरे हाथ में, तेरे हाथ में
किसी ख्वाब की कई सूरतें, किसी ख्वाब के कई रंग हों.

बहुत खूबसूरत गज़ल .. खूबसूरत एहसासों को पिरोये हुए

vidya said...

बहुत अच्छी रचना....

sangita said...

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

जो रिवाज़ और रवायतें यूँ रखे हुए हैं सम्हाल के,
वो लिबास वक़्त की उम्र संग बदन कसें,कहीं तंग हों.
वाह !!!! क्या बात है....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत खूब... शानदार.

daanish said...

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों

अंकित भाई... इस खूबसूरत शेर के हवाले से
इस बहुत ही असरदार ग़ज़ल पर तब्सेरा करना
चाहता हूँ,,, लेकिन मुकम्मल और मुनासिब लफ्ज़
नहीं ढून्ढ पा रहा हूँ....
ग़ज़ल की ख़ूबसूरती है ही ऐसी, तो क्या किया जाए
मेरी जानिब से बहुत बहुत मुबारकबाद
और नव-वर्ष अभिनन्दन .

नीरज गोस्वामी said...

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

सुभान अल्लाह...भाई वाह...वाह...वाह...एक एक शेर हीरे सा तराशा हुआ अपनी चमक से चकाचौंध कर रहा है...जियो अंकित जियो...बेहद खूबसूरत शायरी...मैं अचानक ही आज तुम्हारे ब्लॉग पर पहुंचा...और देख कर पहले न पहुँच पाने का अफ़सोस हुआ...खैर देर आयद दुरुस्त आयद...पूरे साल अपने ऐसे ही अशआरों की खुशबू से गुलशन-ऐ-ब्लॉग महकाते रहो...आमीन...

नीरज

नीरज गोस्वामी said...

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

सुभान अल्लाह...भाई वाह...वाह...वाह...एक एक शेर हीरे सा तराशा हुआ अपनी चमक से चकाचौंध कर रहा है...जियो अंकित जियो...बेहद खूबसूरत शायरी...मैं अचानक ही आज तुम्हारे ब्लॉग पर पहुंचा...और देख कर पहले न पहुँच पाने का अफ़सोस हुआ...खैर देर आयद दुरुस्त आयद...पूरे साल अपने ऐसे ही अशआरों की खुशबू से गुलशन-ऐ-ब्लॉग महकाते रहो...आमीन...

नीरज

Rakesh Kumar said...

सदा जी की हलचल से पहली दफा आपकी ब्लॉग पर आया हूँ.आपको पढकर बहुत अच्छा लगा.

मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

Ankit said...

ग़ज़ल के शेरों को पसंद करने के लिए आप सभी का शुक्रिया.

Ankit said...

दानिश भारती जी की टिप्पणी-

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों

अंकित भाई... इस खूबसूरत शेर के हवाले से
इस बहुत ही असरदार ग़ज़ल पर तब्सेरा करना
चाहता हूँ,,, लेकिन मुकम्मल और मुनासिब लफ्ज़
नहीं ढून्ढ पा रहा हूँ....
ग़ज़ल की ख़ूबसूरती है ही ऐसी, तो क्या किया जाए
मेरी जानिब से बहुत बहुत मुबारकबाद
और नव-वर्ष अभिनन्दन .

Ankit said...

नीरज गोस्वामी जी की टिप्पणी-

कई हसरतों, कई ख्वाहिशों की निबाह के लिए उम्र भर
इसी ज़िन्दगी से ही दोस्ती, इसी ज़िन्दगी से ही जंग हों.

सुभान अल्लाह...भाई वाह...वाह...वाह...एक एक शेर हीरे सा तराशा हुआ अपनी चमक से चकाचौंध कर रहा है...जियो अंकित जियो...बेहद खूबसूरत शायरी...मैं अचानक ही आज तुम्हारे ब्लॉग पर पहुंचा...और देख कर पहले न पहुँच पाने का अफ़सोस हुआ...खैर देर आयद दुरुस्त आयद...पूरे साल अपने ऐसे ही अशआरों की खुशबू से गुलशन-ऐ-ब्लॉग महकाते रहो...आमीन...

नीरज